लखनऊ: (Lucknow) इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर राज्य सरकार की मसौदा अधिसूचना (draft notification) को रद्द कर दिया और ओबीसी (OBC) के लिए आरक्षण के बिना चुनाव कराने का आदेश दिया। यह फैसला जस्टिस डीके उपाध्याय (Justice DK Upadhyay) और जस्टिस सौरव लवानिया (Justice Saurav Lavania) की डिवीज़न बेंच ने सुनाया।
न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरव लवानिया की खंडपीठ ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार द्वारा 5 दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूचना (draft notification) को भी रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के ड्राफ्ट को तैयार करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं के बाद यह फैसला आया है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फॉर्मूले का पालन करना चाहिए और आरक्षण तय करने से पहले ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन का अध्ययन करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन करना चाहिए। राज्य सरकार ने दलील दी कि उसने तेजी से सर्वेक्षण किया और कहा कि यह ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला (tripple test formula) जितना अच्छा है। एक पखवाड़े से रुके शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के मुद्दे पर लखनऊ डिवीज़न ने शनिवार को सुनवाई पूरी कर ली।
शनिवार को अपने शीतकालीन अवकाश (winter vacation) के दौरान खंडपीठ ने कहा कि वह अवकाश के दौरान मामले की सुनवाई करेगी क्योंकि यह मामला स्थानीय निकायों के चुनाव और लोकतंत्र से संबंधित है। राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में थ्री-टायर शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 17 नगर निगमों के मेयर, 200 नगर परिषदों के अध्यक्षों और 545 नगर पंचायतों के लिए आरक्षित सीटों की अनंतिम सूची (provisional list) जारी की थी और सात दिनों के भीतर सुझाव/आपत्तियां मांगी थीं।
5 दिसंबर के ड्राफ्ट के अनुसार, चार महापौर सीटें – अलीगढ़, मथुरा-वृंदावन, मेरठ और प्रयागराज – ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं। इनमें से अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन में महापौर के पद ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षित थे। इसके अतिरिक्त, 200 नगरपालिका परिषदों में 54 अध्यक्षों की सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित थीं, जिनमें 18 ओबीसी महिलाओं के लिए थीं। 545 नगर पंचायतों में अध्यक्ष की सीटों के लिए 147 सीटें ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं, जिनमें 49 ओबीसी महिलाओं के लिए थीं।
उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा, ‘यह पिछड़े वर्गों को आरक्षण से वंचित करने की भाजपा सरकार की साजिश है।’