भोपाल गैस ट्रेजेडी: ऐसा कांड जिससे आज भी सबकी उड़ जाती है नींद
वर्ष 1984 में 2 दिसंबर की रात, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी का गवाह बना था। यूनियन कार्बाइड फेक्ट्री से हानिकारक मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) ऐसा लीक हुआ जिसके चलते हज़ारों लोगों की नींद में ही जान चली गयी। सुबह होते ही सड़कों पर सबने लाशों का ढेर देखा। आज इस भयावह घटने को 38 साल हो गए हैं। उस रात सोये हुए हज़ारों लोग सुबह की रौशनी नहीं देख पाए जिसमे उनका कोई दोष नहीं था।
इस लीक के बाद आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों ने अपनी आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई के साथ-साथ कई लोगों के होश खोने की शिकायत की। इसका प्रभाव ऐसा था कि कम समय में हजारों लोगों की जान लेने के अलावा, इसने गैस में सांस लेने वाले कई लोगों के लिए बीमारी और अन्य दीर्घकालिक समस्याएं पैदा कीं। पर्यावरण प्रदूषण का पैमाना भी बाद में ही स्पष्ट हुआ। हालत इतनी ख़राब हो गयी थी कि, लाशों को ट्रक में लोड करना पड़ा था। लाशों को ले जाने के लिए गाड़ियां और अंतिम संस्कार के लिए कफन कम पड़ गए थे।
करीब 15 हज़ार लोगों की मौत
इस लीकेज के कारण, मृतकों की संख्या 15 हज़ार से ज्यादा है। इसका असर हादसे के कई साल बाद तक देखने को मिला और मौतों का सिलसिला जारी रहा। हादसे से प्रभावित परिवारों में आज तक शारीरिक और मानसिक विकृति के शिकार बच्चों का जन्म हो रहा है।
जानकारी के अनुसार मिथाइल आइसोसाइनेट गैस इतनी जहरीली होती है कि तीन मिनट तक इसके सम्पर्क में रेहनेसे इंसान की मौत हो सकती है। इस कारण डॉक्टरों को भी इसका इलाज कैसे करते है ये ज्ञात नहीं हो पा रहा था।
फरार है मुख्या आरोपी
इस गैस लीक कांड का मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन, हादसे के कुछ घंटे बाद विदेश भागने में सफल रहा। कहा जाता है कि, उस समय के सरकारों ने इसकी मदद की थी। वर्ष 2010 में स्थानीय अदालत ने सभी आरोपियों को दो-दो साल की सजा सुनाई, लेकिन सब जल्द ही ज़मानत पर रिहा कर दिए गए। साल 2014 में एंडरसन फ्लोरिडा में गुमनामी की मौत मर गया।