K. Vishwanath:-दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित महान लेखक, निर्देशक और अभिनेता के विश्वनाथ का 92 वर्ष की आयु में 2 फरवरी 2023 को निधन हो गया।
उनका जन्म 19 फरवरी 1930 को आंध्र प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपने चाचा की सलाह पर सिनेमा में ऑडियोग्राफर के रूप में काम करना शुरू किया। उनके पिता भी उस समय आंध्र के प्रसिद्ध वाहिनी स्टूडियो में काम करते थे।
के. विश्वनाथ ने अपने करियर की शुरुआत बी. एन. रेडी के स्टूडियो में एक ऑडियोग्राफर के रूप में की थी। उन्होंने फिल्म में साउंड डिजाइनर और सहायक निर्देशक के रूप में भी काम किया है।उन्होंने 1957 में फिल्म Thodi Kadallu में साउंड डिजाइनर के रूप में अपनी शुरुआत की, जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उनके द्वारा निर्देशित पहली फिल्म 1965 में आत्म गौरावम थी। जिसके लिए उन्हें नंदी पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने 50 से अधिक हिन्दी और तेलुगु फिल्मों का निर्माण किया है। उन्होंने 8 जनवरी 1979 को फिल्म Sargam से हिंदी सिनेमा में शुरुआत की थी। जो Sri Sri Muvva (1976) की रीमेक थी। सरगम में ऋषिकपुर और जया प्रदा मुख्य भूमिकाओं में थे।उनकी फिल्म का हिट गाना ‘डफली वाले डफली बजा’ था।

हालाकि इसके अलावा उन्होंने हिन्दी सिनेमा में कामचोर, संगीत, धनवान, शुभकामना और ईश्वर जैसी हिट फिल्में दी हैं।
बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में रजनीकांत की फिल्म Linga और अनिल कपूर की फिल्म Badhai Ho Badhai में भी काम किया है। कमल हासन स्टारर फिल्म Swathi Muthyam(1985) तेलुगु में बनी थी। जो भारत की और से Oscar में जाने वाली पहली तेलुगु फिल्म थी
आखिर उन्हें अपने 60 साल के करियर के बाद 2017 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें 10 राष्ट्रीय पुरस्कारों और 7 नंदी पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है
उन्होंने 1985 की तेलुगु फिल्म ईश्वर का रीमेक बनाया जिसमें अनिल कपूर मुख्य भूमिका में थे। 1984 की तेलुगु फिल्म Sankara bharanam कर्नाटक के संगीत पर आधारित थी। जिस मे एक गुरु शिष्य पर बनी फिल्म है। यह फिल्म उस समय की एक उत्कृष्ट कृति थी। उनकी तेलुगु फिल्मे पूरी दुनिया में लोकप्रिय होने लगी थी।
कहा जाता है की टॉम्स हैक्स की हॉलीवुड फिल्म Forest Gump (1994) Swathi Muthyam (1985) से प्रेरित थी, जिसने दुनिया में खूब नाम कमाया और उन्हें गोल्डन ग्लोब जैसे पुरस्कारों से भी नवाजा गया।
के विश्वनाथ अलग-अलग विषयों पर फिल्में बनाने के लिए मशहूर थे। उन्होंने उस समय नस्लवाद, महिला सशक्तिकरण और शारीरिक अक्षमता जैसे मुद्दों पर फिल्में बनाईं।
1994 की फिल्म श्री देवी की फिल्म जाग उठा इंसान जातिवाद पर आधारित थी, उनका मानना था कि फिल्म में उच्च तकनीक नहीं बल्कि एक साधारण सांस्कृतिक फिल्म होनी चाहिए। जो 3 घंटे के लिए लोगों को झूठी दुनिया दिखाने के बजाय सही मुद्दे दिखाकर सफलता में विश्वास रखते थे।
उन्होंने अपनी फिल्मों में संगीत और नृत्य को अधिक महत्व दिया इसलिए उन्हें आंध्र के Santaram के रूप मे भी जाना जाता था।
ऐसे दिग्गज कलाकार जो आज हमारे बीच नहीं रहे है। जिन्हे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी, ए.आर. रहमान और कई अन्य सितारों ने सम्मान दिया।